श्री बंसल जी

श्री बंसल जी द्वारा १९८८ से द्वापर युगीन सर्वसिद्ध माँ बगलामुखी मंदिर, नलखेड़ा का माँ द्वारा स्वप्न देने के अनुरूप जीर्णोद्वार शुरू किया | माँ ने मानव कल्याण के लिए कई मंत्र यंत्र स्वप्न में दिए और सहज आध्यात्मिक तांत्रिक पूजा का विधान बताया |
इसी प्रकार श्री पाताल गामी विजय उलटे हनुमान , सांवेर इंदौर में जीर्णोद्वार स्वप्न के माध्यम से शुरू करवाया |
वर्तमान में आप गुरु देव श्री कैलाश शर्मा जी, भक्त श्री शैलेन्द्र पटेल के साथ मिलकर सतयुगीन सर्वसिद्ध माँ बगलामुखी , माँ तारा पाप हरेश्वर महादेव महाकाल, कुमारिका वन ग्राम बिजाना , शाजापुर के जीर्णोद्वार में २०१९ से निरंतर लगे हुए है | यहाँ १८ दिव्य शक्तियाँ विराजमान है | कई दिव्य संत अभी भी अशरीर साधना में लीन है | कई भक्तो द्वारा उनके दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया हैं और कर रहे हैं।
महाराज जी नीब करोली बाबा के आशीर्वाद स्वरुप मंदिर का निर्माण किया जा रहा है |
श्री कौशल जी द्वारा लिखित महत्वपूर्ण तथ्य
- सर्व प्रथम मुझे अध्यात्म पथ का ज्ञान मेरे प्रथम गुरु देव महाराज श्री श्यामानन्द जी, परमार्थ आश्रम, हरिद्वार, द्वारा १९७५ में दिया गया | उनके द्वारा मुझे सूक्ष्म अध्यात्म की दिशा दी गई |बस यही से जीवन में अध्यात्म पथ पर निरंतर बढ़ता ही गया |
- साथ गुरुदेव राघवानंद जी , उज्जैन ,के द्वारा अध्यात्म के गुप्त रहस्य समझे | इसके बाद इनके आशीर्वाद से मेरा नायब तहसीलदार के पद पर चयन हुआ | नौकरी में वरिष्ठ अधिकारियों से मन चित्त न मिलने के कारण समस्याएँ, कठिनाइयाँ उत्पन्न होने लगी | इसके समाधान के लिए फिर मेरे बहनोई स्वर्गीय डॉ. बी.एल अग्रवाल साहेब द्वारा सर्व प्रथम माँ बगला मुखी का ३६ वर्णो का मंत्र दिया | मैं हनुमान जी के बजरंग बाण (५८ चौपाई ) के साथ – साथ माँ बगला मुखी के मन्त्र का जप और साधना करने लगा|
- सन १९८७ में मैं शुजालपुर , नायब तहसीलदार के पद पर पदस्थ था | वहाँ मेरे तहसीलदार और एस. डी ओ द्वारा मेरे विरुद्ध झूठा प्रचार कर कलेक्टर को गुमराह कर दिया गया | कलेक्टर जी से उनके बंगले में अत्याधिक कहा सुनी हो गई | दोनों की गरमा गरम बहस हो गई | मैं शुजालपुर पहुँचा उसके पहले मेरा ट्रांसफर नलखेड़ा (शाजापुर ) कर दिया गया | मैं उज्जैन पिता श्री के पास गया और बताया कि मैं नलखेड़ा किस कारण से नहीं जाऊँगा | पिताजी ने आदेश दिया कि “तू हनुमान और माँ बगला मुखी का अनन्य भक्त है तेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा |” पिता श्री के आशीर्वाद से ०१/०१/१९८८ को नायब तहसीलदार के पद पर ज्वाइन किया |
- वहाँ एक माह बाद मेरे मित्र पुलिस इंस्पेक्टर श्री विजय सिंह पवार उज्जैन , से मिलने आए , उन्होंने बताया कि आप बगला मुखी के साधक है , यहाँ माँ बगला मुखी का द्वापर युग का मंदिर है |
- माँ के बुलावे से मंदिर गए, इस मंदिर को “बगावद देवी का मंदिर” के नाम से पुकारा जाता था | मंदिर सुषुप्त अवस्था में था |
- मंदिर का सर्वप्रथम जाग्रत नाम सर्वसिद्ध माँ बगला मुखी रखा और फोटो बाँटकर प्रचार एवं प्रसार शुरू किया | फिर माँ के आदेश से पिता श्री मधुसुदन लाल जी अग्रवाल की स्मृति में १९८८ में सिंहद्वार का निर्माण किया गया |
- यही से माँ की दिव्य कृपा से मंदिर के जीर्णोद्वार में लगा रहा | फिर माँ ने स्वप्न दिया कि “तू क्या चाहता है?” माँ से मैंने कहा कि मेरा ट्रांसफर इंदौर करवा दे, माँ ने आदेश दिया कि तेरा ट्रांसफर १५ दिन में इंदौर हो जाएगा | मेरा ट्रांसफर प्रधानमंत्री के ऑफिस से निर्देशानुसार इंदौर हुआ और निरंतर २०१२ तक सेवा निवृत्ति तक रहा |
- माँ के कम से कम दो लाख भक्तों फोटो को बाँटकर भक्तों के घर में स्थापना करवाई और माँ की भक्ति करने की प्रेरणा दी |
- सन १९९२ के सिंहस्थ में संत श्री बाबा गोपेश्वर गुरु जी से भेंट हुई | उन्होंने माँ बगला मुखी के गुप्त रहस्य बताएँ और शमशान साधना और आदि से अवगत कराया |
- उन्हें नलखेड़ा लेकर गए | १५ दिनों तक यज्ञ हवन कराया , इस हवन यज्ञ में खर्चा मेरे मित्र सी. ए. अजय जैन , उज्जैन द्वारा (१५ हज़ार) उठाया गया | मंदिर इससे जाग्रत हो गया |
- निरंतर, साधना , उपासना , ध्यान चलता रहा , माँ बगला मुखी , हनुमान जी की कृपा होती रही | हस्त रेखा,अंक विज्ञान, सहज तंत्र ,मंत्र , यंत्र में कुशलता से मिलती गई | लोगों के कल्याण में अग्रसर होता गया |माँ की कृपा से माँ द्वारा मानव कल्याण हेतु २५ आध्यात्मिक पुस्तकों का लेखन कार्य करवाया गया। इसके साथ साथ सहज यंत्रो का निर्माण भी करवाया गया। जिससे लाखों मानव लाभान्वित हो रहे हैं।
- इसी आशीर्वाद से श्री श्री पाताल गामी उलटे हनुमान , साँवेर , इंदौर , बिल्बामृतेश्वर महादेव , धमपुरी -धार श्री रणजीत हनुमान-इंदौर , श्री खजराना गणेश मंदिर -इंदौर , के जीर्णाद्वार में सहभागी बना रहा |
- इन सब के आशीर्वाद स्वरुप वर्तमान में सतयुगीन कुमारिका वन पहाड़ी जो ॐ आकार की है , में विराजित १८ दिव्य माताएँ (शक्तियाँ) तथा पाप हरेश्वर महादेव महाकाल पीठ के जीर्णोद्वार में २०१९ से पूजनीय गुरु जी कैलाश शर्मा जी , पीठाश्वराधीश, परम भक्त शैलेन्द्र जी पटेल इंदौर ,आदि साथ-साथ निरंतर लगे हुए है|
दिव्य एकात्मक मानव कल्याण हेतु दिव्य प्रार्थना एवं यंत्र
- आज संसार के समक्ष अन्योन्य (विविध) समस्याएँ विद्यमान है |
- पारस्परिक संघर्ष (युद्ध) , ग्लोबल वार्मिंग , पर्यावरण असंतुलन , जलवायु परिवर्तन और धार्मिक उन्माद आदि की जो स्थितियाँ और परिस्थितयाँ स्वार्थी मानव द्वारा बनाई गई है , उसका सम्पूर्ण समाधान भगवदपादाचार्य आदि शंकराचार्य द्वारा प्रतिपादित दिव्य अद्वैत सत्य पर आधारित सत्य दर्शन ही है |
- हमारे दिव्य पूर्वज ऋषि – महर्षि प्रकृति (पंच तत्व – वायु , अग्नि , पानी , पृथ्वी और आकाश) के और सत्य रहस्यों को कुण्डलिनी जाग्रत कर , समझकर इस सत्य निष्कर्ष पर पहुँचे कि जीव निर्जीव एवं मानव और अन्य पर्यावरणीय घटकों के पारस्परिक सहकार- संतुलन एवं सह-अस्तित्व में ही जीव – निर्जीव और मानव का जीवन सर्वदा सुरक्षित है |
- इस पृथ्वी के अलग २ राष्ट्रों की अपनी – अपनी विशिष्ट परम्पराएँ , सभ्यता , सांस्कृतिक संवेदनाएँ , भाषाएँ आदि है|
- पश्चात् संस्कृति से प्रेरित अनेक राष्ट्र भौतिक – उत्कर्ष , सैन्य -सम्पदा और तात्कालिक भोग-इच्छाओं के तत्कालीन साधन ही संग्रहित करने में जुटे है और इस कारण से पृथ्वी विनाश की ओर अग्रसर हो रही है |
- प्रचंड भोगवाद और पारस्परिक संघर्ष को भोग रहे इस विश्व के २१० राष्ट्र में एकात्मक अद्वैत की दिव्य स्थापना कर सकता है | हमारा वैदिक ज्ञान- लाखों वर्षों से कहता भी आ रहा है कि:

- अर्थात : सभी सुखी होव , सभी रोग मुक्त रहे , सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बने और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े | ॐ शांति-शांति-शांति |
- जीव निर्जीव में सद्भावना और ब्रम्हाण्ड का कल्याण हो | यदि पुरे ब्रम्हाण्ड में असंतुलन है तो मानव अकेले सुखी कैसे हो सकता है |
- हमारा घर , परिवार , समाज , ग्राम , क़स्बा , शहर , पृथ्वी , आकाश , जल , वायु आदि – आदि दूषित है तो ? हम क्या सुखी (मन और तन ) हो सकते है ? कदापि नहीं |
- प्रचंड भोगवाद , प्रचंड ऋणात्कमक स्वार्थ , और पारस्परिक संघर्ष से झूझ रहे है , इस संसार में “एकात्मक – अद्वैत ” का दिव्य ज्ञान ही आंतरिक एवं बाह्य शांति – सामंजस्य कर सकता है |
- इस दृष्टी से विगत कुछ वर्षों से दिव्य संत के सद संकल्प से देश में भारतीय सामाजिक संरक्षण , सांस्कृतिक दिव्य – आध्यात्मिक वैभव को सहजने का दैवीय कार्य आरम्भ किया है , यही भारतवर्ष की सांस्कृतिक – आध्यात्मिक दिव्य- चेतना के उत्कर्ष की दृष्टी से अमृत काल है आदि शंकराचार्य के एकात्म- अद्वैत के सर्व व्यापक एवं सर्वसमावेशी ज्ञान द्वारा इस विश्व की एकता का सदमार्ग प्रशस्त करने वाले भारतीय सनातन वैदिक संस्कृति के उपनिषदों ब्रम्ह- सूत्र तथा शास्त्रों के युगानुकूल हमारी मंत्रोल प्रार्थनाओं में सर्वत्र शांति का ज्ञान पूर्व से स्थापित है आदि शंकराचार्य द्वारा प्रतिपादित अद्वैत का दिव्य ज्ञान मानव और प्रकृति के परस्पर एकत्व और सामंजस्य के इसी दिव्य- सत्य को प्रकाशित करता आ रहा है |
- भारतवर्ष अपनी दिव्य – यौगिक आभा और दिव्य , सत्य आध्यात्मिक प्रसार से जीव – निर्जीव एवं मानव कल्याण हेतु अग्रसर हो रहा है और उसका अनुभव जी -२० के सम्मलेन में समस्त विश्व ने अनुभूत किया है | आदि शंकराचार्य के दिव्य- ज्ञान एवं जीवन दर्शन से अभिभूत होकर जीव- निर्जीव एवं ब्रहाण्ड के समस्त मानव कल्याण के लिए निम्न प्रार्थना एवं यंत्र उद्घाटित किए गए है |
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं क्रीं ह्लीं स्त्रीं ॐ सर्व -देव देवीस्वरूपाय ॐ श्री अल्हाय, ॐ ईसा मसीह , ॐ गौतम बुद्धाय, ॐ महावीराय , ॐ वाहे गुरु , ॐ सांई -राम , ॐ प्रभु ईशु , ॐ ब्रम्हा – विष्णु शिव शक्तिभ्याम् नमो नम:

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