धन-दौलत और रुपयों का घमंड तथा दिखावा दो तरह के तथाकथित मनुष्य करते हैं।
पहले वे, जिन्हें ब्याजखोरी या खानदानी संपत्ति-जायदाद से धन प्राप्त हुआ हो, और दूसरे वे, जिन्होंने धोखे, बेईमानी या आपराधिक कृत्यों से पैसा कमाया हो।
ईमानदारी, मेहनत और सत्कर्म के साथ सफल होने वाला व्यक्ति कभी भी घमंड नहीं करता। इसके उदाहरण डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और रतन टाटा हैं, जिन्होंने अपनी सादगी और सेवा-भावना से लोगों का दिल जीता।
सच्चा समृद्ध व्यक्ति वह होता है, जो अपनी संपत्ति और सफलता को समाज के कल्याण में लगाता है।
धन का वास्तविक मूल्य तभी है जब वह जरूरतमंदों की सहायता करे, नए अवसर पैदा करे और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाए। धन का घमंड क्षणिक होता है, लेकिन सद्कर्मों की पहचान और लोगों का सम्मान जीवनभर बना रहता है।

महत्वपूर्ण बिंदु
धन और अहंकार – कुछ लोग धन का घमंड करते हैं, खासकर वे जिन्होंने इसे अनैतिक तरीकों से अर्जित किया हो।
सफलता और सादगी – सच्ची सफलता ईमानदारी, मेहनत और नैतिकता से मिलती है, जिसमें अहंकार के लिए कोई स्थान नहीं होता।उदाहरण – डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और रतन टाटा जैसे महान व्यक्तित्व, जिन्होंने सादगी के साथ सफलता हासिल की।
धन का सही उपयोग – धन का वास्तविक मूल्य तब है जब इसे समाज, जरूरतमंदों और विकास के लिए उपयोग किया जाए।
अस्थायी बनाम स्थायी पहचान – घमंड और दिखावा क्षणिक होता है, जबकि अच्छे कर्म और सादगी से कमाया हुआ सम्मान जीवनभर रहता है।
मानवता और सेवा का महत्व – धन से ज्यादा मूल्यवान होता है लोगों का विश्वास, प्रेम और सेवा-भावना।
सच्ची समृद्धि – सच्चा अमीर वह है जो अपनी संपत्ति का उपयोग समाज कल्याण के लिए करता है, न कि सिर्फ अपने वैभव के प्रदर्शन के लिए।