जो सोवत है वो खोवत है ,जो जागत है वो पावत है
सामान्य मनुष्य का एक तिहाई जीवन निद्रा ,आलस्य में ही व्यतीत हो जाता है | जहाँ एक ओर जागृत अवस्था का सभी व्यवहार ईश्वर सेवा के माध्यम से परमार्थ।, परोपकार एवं कल्याण सेवा की भी अपेक्षा रखता हैं, वही निद्रा अवस्था का लम्बा समय भी सत्वगुणी मानव के लिए पर्याप्त विचारणीय हैं | निद्राकाल में […]
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