श्रीराम: शाश्वत सत्य और मानवता के मार्गदर्शक
प्रभु श्री राम शाश्वत, सत्य सनातन, परमात्मा को “मनुष्य स्वरूप” में अवतरित होकर कल्याण का पृथ्वीलोक में जीव निर्जीव को वरदान दे दिया |
श्री राम मानवता के सृजन करता और पोषक दोनों है |
विचार, वाणी एवं सत्य कर्म के मापदंड होने से उत्कर्ष जीवन जीने का सिद्धांत है।
आज विखंडित हो रहे परिवार, समाज और विनाश की ओर बढ़ रही दुनिया को सही दिशा मार्गदर्शन देने में दिव्य ग्रंथ श्री रामचरितमानस जितना आज भी प्रासंगिक और उपयोगी है उतना दुनिया को कोई ग्रंथ उपयोगी नहीं है |
इसलिए ब्रह्मांड और धरती को अविरल जीवन धारा के साथ श्री राम सदैव सूक्ष्म रुप अभिन्न रहकर हमारा जीव निर्जीव का मार्गदर्शन करते रहेंगे |

महत्वपूर्ण बिंदु
श्रीराम का स्वरूप – प्रभु श्रीराम शाश्वत, सत्य सनातन परमात्मा हैं जिन्होंने मनुष्य रूप में अवतार लेकर संसार के कल्याण हेतु कार्य किया।
जीव और निर्जीव का कल्याण – श्रीराम ने पृथ्वी लोक पर अवतरित होकर जीवों और निर्जीव जगत दोनों को वरदान प्रदान किया।
मानवता के रचयिता और पोषक – श्रीराम केवल धार्मिक आदर्श नहीं बल्कि मानवता के सृजनकर्ता और उसके संरक्षणकर्ता भी हैं।
आदर्श जीवन का मापदंड – विचार, वाणी और कर्म के माध्यम से उन्होंने उत्कृष्ठ जीवन जीने का मार्ग बताया।
श्रीरामचरितमानस की प्रासंगिकता – आज के समय में जब परिवार और समाज विखंडित हो रहे हैं, तब श्रीरामचरितमानस जैसा कोई अन्य ग्रंथ दुनिया को सही दिशा नहीं दे सकता।
श्रीराम की नित्य उपस्थिति – श्रीराम सूक्ष्म रूप में आज भी हमारे साथ हैं और ब्रह्मांड एवं पृथ्वी की जीवनधारा के साथ अविरल रूप से जुड़े हुए हैं।
मार्गदर्शन का प्रतीक – श्रीराम सदैव जीवों और निर्जीवों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।