सनातन और बाइबल में भक्ति की समानता
सनातन भक्ति सूत्र और बाइबल की भक्ति साधना में गहन समानता दृष्टिगोचर होती है। बाइबल में वर्णित प्रभु की प्रार्थना, जिसे साधना क्रम कहा जा सकता है, नारद भक्ति सूत्रों के साधना क्रम से पूरी तरह मेल खाती है। भक्ति मार्ग में जिस आल्हादिनी शक्ति का उल्लेख किया गया है, वही आंतरिक शक्ति बाइबल में होली स्पिरिट (Holy Spirit) के नाम से जानी जाती है। इसके बिना मनुष्य आध्यात्मिक पथ का लाभ प्राप्त नहीं कर सकता। बाइबल में ईश्वर की शक्ति और उसकी क्रियाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है। समय के साथ ईसाई धर्म में यह साधना लुप्तप्राय हो गई, किंतु आज भी कुछ संप्रदायों में प्रभु भक्ति की विशिष्ट साधनाएँ देखी जा सकती हैं।
ईसा मसीह के गुरु (John the Baptist) ने उन्हें दीक्षा प्रदान की। इस प्रक्रिया के दौरान, जब ईसा का आत्मिक रूपांतरण हुआ, तो उन्हें अनुभव हुआ कि एक पक्षी उड़कर आकर उनके भीतर समा गया। बाइबल में इसे इस प्रकार कहा गया है—“It came like a dove”, अर्थात् यह एक कपोत की भाँति आया। उसी क्षण, उनके मन व हृदय के समस्त आवरण हट गए, स्वर्ग के द्वार खुल गए, और आकाशवाणी हुई—“यह मेरा प्रिय पुत्र है।”
इसके बाद ईसा को वन में ले जाया गया। बाइबल में यह स्पष्ट रूप से नहीं लिखा गया कि उन्हें कौन ले गया, किंतु कोई दिव्य भक्त या साधक इस तथ्य को सहज ही समझ सकता है कि यह कार्य प्रभु की शक्ति के बिना संभव नहीं था। प्रभु की कृपा प्राप्त होने के पश्चात भक्तों और साधकों को इस प्रकार के दिव्य अनुभव सामान्य रूप से होते हैं।

महत्वपूर्ण बिंदु:
- भक्ति साधना में समानता – बाइबल की प्रार्थना और नारद भक्ति सूत्र का साधना क्रम मेल खाता है।
- आल्हादिनी शक्ति और होली स्पिरिट – सनातन भक्ति में आल्हादिनी शक्ति वही है, जिसे बाइबल में होली स्पिरिट कहा गया है।
- ईश्वर की कृपा का महत्व – बिना प्रभु की शक्ति की कृपा के आध्यात्मिक उन्नति संभव नहीं।
- ईसा मसीह की दीक्षा – (John the Baptist) ने ईसा मसीह को दीक्षा दी, जिसमें दिव्य अनुभूति हुई।
- It came like a dove – दीक्षा के दौरान ईसा को अनुभव हुआ कि एक पक्षी (कबूतर) की तरह शक्ति उनके भीतर समाई।
- आकाशवाणी और स्वर्ग के द्वार – दीक्षा के बाद स्वर्ग के द्वार खुले और आकाशवाणी हुई—“यह मेरा प्रिय पुत्र है।”
- वन गमन का रहस्य – बाइबल में स्पष्ट नहीं, लेकिन दिव्य भक्त समझ सकते हैं कि प्रभु की शक्ति ही उन्हें वन में ले गई।
- आज भी जीवित भक्ति परंपरा – कुछ ईसाई संप्रदायों में अभी भी भक्ति साधना की परंपरा देखी जा सकती है।