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होली का आध्यात्मिक और सहज मान्त्रिक, तांत्रिक ,यान्त्रिक महत्व
आध्यात्मिक महत्व
होली केवल रंगों का त्यौहार नहीं है। बल्कि, इसका गहरा आध्यात्मिक महत्व भी है । (1) अहंकार का नाश (प्रह्लाद और होलिका की कथा) होली बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। भक्त प्रह्लाद की भक्ति और होलिका के जलने की कथा हमें सिखाती है कि, ईश्वर में अटूट श्रद्धा रखने वाले को, कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता। यह हमारी नकारात्मक वृत्तियों और अहंकार को जलाकर आत्मा की शुद्धि का संदेश देती है। (2) दिव्य रंगों का महत्व रंगों का उपयोग सुक्ष्म चेतना को जागृत करने और आंतरिक ऊर्जा संतुलित करने में सहायता करता है। लाल, पीला, हरा और नीला रंग विभिन्न चक्रों को सक्रिय करते हैं, जिससे मन और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। (3) भक्ति और निःस्वार्थ प्रेम का पर्व भगवान श्रीकृष्ण और राधा की लीलाओं से जुड़े होने के कारण, होली प्रेम, माधुर्य और भक्ति का पर्व भी है। यह हमें अहंकार छोड़कर प्रेम, क्षमा और सौहार्द की भावना अपनाने का संदेश देती है।सहज मान्त्रिक, यान्त्रिक तांत्रिक महत्व
होली की रात को सहज तांत्रिक, यान्त्रिक जप तप, प्रार्थना-अनुष्ठान, भक्ति साधनाओं के लिए विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है। यह रात्रि, सहज तांत्रिक सिद्धियों, विशेष यंत्र-तंत्र क्रियाओं और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए, महत्वपूर्ण होती है। (1) नकारात्मक ऊर्जा का नाश होलिका दहन के समय, अग्नि में विशेष मंत्रों का उच्चारण करके, नकारात्मक ऊर्जा, बाधाओं और बुरी नजर से मुक्ति पाई जा सकती है। (2) सहज तंत्र साधना का प्रभाव होली की रात को, कई सहज तांत्रिक भक्त, साधक महाविद्याओं (जैसे बगला,तारा. काली, तारा, श्रीलक्ष्मीनारायण, भुवनेश्वरी,दुर्गा ,श्री यन्त्र) की साधना करते हैं। यह रात सिद्धियों की प्राप्ति के लिए, अत्यधिक शक्तिशाली मानी जाती है। (3) सहज गुप्त ग्रहस्थों के लिए तंत्र क्रियाएं होली की रात को, कुछ तांत्रिक साधक विशेष मंत्रों, यंत्रों और तंत्र विधियों के माध्यम से, अपने कार्य सिद्ध करने का प्रयास करते हैं, जैसे शत्रु बाधा निवारण, धन प्राप्ति, वशीकरण और रोगों से मुक्ति। इससे डरनें की कोई आवश्यकता कदापि नहीं है.
यदि किसी को किसी प्रकार का डर, भ्रम, विभ्रम हो अपने भ्रम, डर को दूर कर सकते हों
उपासना और साधना के लिए, विशेष उपाय
(1) होली के दिन कुछ विशेष उपाय और साधनाएं की जाती हैं: ” दिव्य होली ‘ केवल एक पर्व नहीं है। बल्कि , आध्यात्मिक उत्थान, भक्ति, और सहज तांत्रिक सिद्धियों के लिए, विशेष अवसर है। यह हमें सिखाती है कि बुराई और नकारात्मकता को जलाकर प्रेम, सद्भाव, और भक्ति की राह अपनानी चाहिए। इसके लिए श्री यंत्र या श्री लक्ष्मी नारायण आदि यन्त्रों को पूजा में स्थापित करके सम्बन्धित मन्त्र का जाप रातभर करें. इससे भाग्योदय होता है और सोया हुया दुर्भाग्य जागृत होता है. यह हजारों भक्तों का 32 वर्षो से अनुभूत प्रयोग है. 🕉गुरुतत्त्व, प्रारब्ध, भाग्योदय 🕉निष्कर्ष:
सच्चा ईश्वर-प्रेम न केवल भक्ति का सर्वोच्च रूप है, बल्कि यह आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का माध्यम भी है।