Gods Creation And The Existence Of Humanity

ईश्वर की सृष्टि और मनुष्य का अस्तित्व

ईश्वर ने जड़ निर्जीव एवं जीव दो प्रकार की सृष्टि का निर्माण किया हैं।  एक तो अचल (पंच तत्व – पृथ्वी , जल , वायु , अग्नि और आकाश ) तथा दूसरे चल जीव (८४ लाख योनियाँ) | जीवों का अस्तित्व भौतिक सृष्टि , संसार पर आधारित होता हैं।  पंच भौतिक तत्वों में से विभिन्न तत्वों को ग्रहण कर शरीर का निर्माण होता हैं तथा ईश्वर की चैतन्य सूक्ष्म शक्ति मनुष्य के शरीर के रोम रोम में प्रविष्ट हो जाती हैं।  भौतिक सृष्टि एवं मनुष्य दोनों प्रकारों की सृष्टि का निर्माता ईश्वर ही होता हैं।  जहाँ एक एक और संसार की प्रत्येक वास्तु एवं पदार्थ में अचल रूप में विद्यमान हैं।  मनुष्य में उसकी शक्ति चेतना के स्तर पर  इन्द्रियों (पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ – नाक , कान , जीभ , त्वचा , आँख एवं पांच कर्म इन्द्रियाँ) से संयुक्त होकर इनको परिचालित करती हैं। सभी मनुष्यों का अस्तित्व उनकी कार्यशीलता , उनके सुख दुःख , समृद्धि , भाग्य इत्यादि सभी ईश्वरीय इच्छा अर्थात प्रारब्ध के ही सर्वदा आधीन हैं। 

महत्वपूर्ण बिंदु

  1. ईश्वर की दो प्रकार की सृष्टि – ईश्वर ने जड़ और जीवित सृष्टियों का निर्माण किया है: अचल (पंच तत्व) और चल (84 लाख योनियाँ)।
  2. पंच तत्व और शरीर का निर्माण – शरीर पंच तत्वों से बनता है, और ईश्वर की सूक्ष्म शक्ति शरीर के प्रत्येक रोम में प्रवेश करती है।
  3. मनुष्य और भौतिक सृष्टि का निर्माता – मनुष्य और भौतिक सृष्टि दोनों का निर्माता केवल ईश्वर ही है।
  4. ईश्वर की चैतन्य शक्ति – ईश्वर की शक्ति, चैतन्य के रूप में, मनुष्य के इन्द्रियों द्वारा शरीर को संचालित करती है।
  5. प्रारब्ध के अनुसार जीवन – सभी मनुष्यों का जीवन, सुख-दुःख, समृद्धि, और भाग्य ईश्वरीय इच्छा और प्रारब्ध के अधीन होते हैं।
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