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गृहस्थ जीवन के आदर्श आचरण और गुण
गृहस्थ को अत्यंत निद्रा, आलस्य श्रृंगार तथा भोजन, वस्त्र में लगाव का त्याग करना चाहिए , दिखावे का भी त्याग करना चाहिए। उसे आहार , निद्रा , भाषण , इत्यादि सब बातें नियंत्रित रूप में ही करनी चाहिए। उसे दयालु ,विनम्र , सद्भावना रखना , उदारता , नैतिकता , सौम्यता ,नम्रता , सहन शीलता ,समर्पण-भाव , नि: स्वार्थ प्रेम से अभिभूत होना चाहिए।

कुछ मुख्य बिंदु
- निद्रा और आलस्य का त्याग – गृहस्थ को आलस्य और अत्यधिक निद्रा से बचना चाहिए।
- दिखावे से बचाव – बाहरी श्रृंगार और दिखावे का त्याग करना चाहिए।
- संयमित जीवनशैली – भोजन, वस्त्र, निद्रा और भाषण में संयम रखना चाहिए।
- दयालुता और विनम्रता – दयालु, विनम्र और सद्भावना से युक्त होना चाहिए।
- नैतिकता और उदारता – नैतिकता और उदारता को अपने आचरण में शामिल करना चाहिए।
- सहनशीलता और नम्रता – सौम्यता और सहनशीलता का पालन करना चाहिए।
- समर्पण और नि:स्वार्थ प्रेम – समर्पण-भाव और नि:स्वार्थ प्रेम से प्रेरित रहना चाहिए।