मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी का प्रत्येक आचरण हमे जीवन जीने की संजीवनी देता है।
प्रभु श्री राम हजारों- वर्षो बाद भी भारतीय संस्कृति का आधार बने हुए हैं तो इसलिए कि वे हमारी चेतना में समाए हैं।
राम के चरित्र को जानकर ही हम समझ सकते है कि क्या महत्त्व हैं। राम ने धर्म के मार्ग पर चलकर अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए जो आदर्श स्थापित किया , वह आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्थाई स्त्रोत हैं।
प्रभु राम इसलिए हमारे आराध्य हैं कि वनवासी जीवन व्यतीत करते हुए जब शबरी ने राम को आमंत्रित किया तो उन्होंने उनका आधित्य स्वीकार कर यह स्पष्ट सन्देश दिया कि न कोई छोटा है न कोई बड़ा है और न कोई ऊँचा है न कोई नीचा। यदि हिन्दू समाज को जातिगत भेदभाव से पूर्णरूप से मुक्त होना हैं तो श्री राम के आदर्शों पर चलना ही होगा।
अब हमारी वर्तमान पीढ़ी का दायित्व हैं कि राम राज्य के सपने को साकार करने के लिए वह श्री राम का अनुसरण करें और अपने दायित्वों का इस प्रकार निर्वहन करें कि उसमें ऋणात्मक- स्वार्थ की कोई झलक न हो। कोई भी सामाज अथवा राष्ट्र उसके व्यक्तियों के श्रेष्ठ प्रयासों से ही सर्वश्रेष्ठ बनता हैं।

कुछ मुख्य बिंदु
यहाँ मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के आदर्शों से मिली प्रेरणाओं के कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं, जो हमारे जीवन और समाज के लिए मार्गदर्शक हैं:
- कर्तव्य परायणता: श्री राम ने धर्म का पालन करते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया, जो हमें जिम्मेदारियों को निभाने की प्रेरणा देता है।
- समानता और समरसता: शबरी के आतिथ्य को स्वीकार कर राम ने समाज में समानता का संदेश दिया कि सभी मनुष्य समान हैं।
- निःस्वार्थता का आदर्श: राम का जीवन निःस्वार्थ कर्तव्य निर्वहन का उदाहरण है, जो हमें सिखाता है कि सेवा और त्याग ही सच्चा धर्म है।
- धैर्य और संकल्प: वनवास और कठिनाइयों का सामना करते हुए राम का धैर्य हमें हर स्थिति में संयम और साहस बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
- राम राज्य की स्थापना: श्री राम का चरित्र हमें समाज और राष्ट्र के कल्याण हेतु कार्य करने का मार्ग दिखाता है, जिससे आदर्श समाज का निर्माण संभव है।
श्री राम के आदर्शों का अनुसरण कर हम अपने जीवन और समाज को श्रेष्ठ बना सकते हैं और राम राज्य के सपने को साकार कर सकते हैं।