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श्रेष्ठ परिवार प्रमुख वही है जो विषैली बातों को भीतर दबाए रखे और भगवान शिव के सामान एकता कायम रखे।
परिवार-प्रमुख के कानों में कभी-कभी परिवार सम्बन्धी ऐसी विषैली तथ्यहीन बातें आती हैं , जिन्हें यदि वह उगल दे (प्रकट करे) तो गृह कलेश उत्पन्न होगा और यदि पचाने की चेष्टा करे तो अपना मानसिक संतुलन खो बैठेगा। अतः श्रेष्ठ परिवार वही है जो उन विषैली बातों को भीतर दबाए रखें।
ठीक वैसे ही जैसे सागर मंथन के समय उत्पन्न “हलाहल विष ” को भगवान् शिव ने अपने कंठ में धारण कर लिया था जिसके बाद वे नीलकंठ हो गए।

कुछ मुख्य बिंदु
यहाँ परिवार प्रमुख के उस गुण पर कुछ मुख्य बिंदु दिए गए हैं, जो विषैली बातों को अपने भीतर रखकर परिवार में शांति और एकता बनाए रखते हैं:
- विष को पचाने की क्षमता: परिवार प्रमुख को शिवजी की तरह नकारात्मक बातों को भीतर रखने और उनसे परिवार की शांति भंग न होने देने की क्षमता रखनी चाहिए।
- संयम का आदर्श: शिवजी की तरह परिवार प्रमुख को संयम बनाए रखना चाहिए, ताकि विषैली बातें भी उन्हें विचलित न कर सकें और वे परिवार में स्थिरता बनाए रखें।
- मानसिक संतुलन बनाए रखना: श्रेष्ठ परिवार प्रमुख वही है जो कड़वी बातों को सहन करते हुए भी अपना मानसिक संतुलन बनाए रखे और परिवार में सौहार्द बनाए रखे।
- परिवार की शांति को प्राथमिकता: शिव की तरह परिवार प्रमुख को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह किसी भी परिस्थिति में परिवार की शांति और एकता को प्राथमिकता दें।
- सकारात्मकता का संचार: नकारात्मकता को अंदर समेटकर परिवार में सकारात्मकता फैलाना ही एक आदर्श परिवार प्रमुख का गुण है, जैसे शिव ने विष को धारण कर सबके कल्याण का उदाहरण प्रस्तुत किया।
इस प्रकार, शिवजी की तरह विष को अपने भीतर रखकर परिवार की भलाई के लिए कार्य करना ही एक श्रेष्ठ परिवार प्रमुख का कर्तव्य है।