पापेश्वर महादेव पीठ: शिव-पार्वती की कृपा से दोगुना पुण्य और सुख
सर्व सिद्ध माँ बगलामुखी तारा, लक्ष्मी एवं पापहरेश्वर महादेव महाकाल पीठ में पूजा-हवन का दोगुना फल क्यों मिलता है?
चतुर्दशी तिथि का विशेष महत्व है क्योंकि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का दिव्य विवाह संपन्न हुआ था। विवाह के उपरांत, दोनों ॐ आकार के कुमारिका वन पहाड़ पर भ्रमण के लिए पधारे थे। माता पार्वती ने इस पहाड़ी पर साल (चावल) के पत्ते फेंके थे, जिसका प्रमाण आज भी वहाँ परिलक्षित होता है। इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथ शिव पुराण में मिलता है।
मान्यता है कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की रात में भगवान शिव और माता पार्वती कुमारिका वन में एक साथ भ्रमण करते हैं। इस पवित्र तिथि को मासिक शिवरात्रि भी कहा जाता है। इस विशेष दिन पर पापहरेश्वर महादेव महाकाल और माँ पार्वती की अठारह शक्तियों सहित पूजा, हवन, रुद्राभिषेक, और मंत्रोच्चारण का विशेष महत्व है।
इस दिव्य स्थान पर पूजा-अर्चना करने से भक्तों को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे:
- धन, ऐश्वर्य और राजयोग की प्राप्ति।
- संतान सुख और वैवाहिक जीवन में शुभता।
- शत्रुओं पर विजय और हर प्रकार की बाधाओं से मुक्ति।
- आध्यात्मिक उन्नति और आत्मिक शांति।
कहा जाता है कि इस पीठ पर हवन और पूजा करने से भगवान शिव और माँ पार्वती की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। यहाँ की पवित्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा भक्तों को उनके जीवन के सभी संकटों से मुक्ति प्रदान करती है।
जो श्रद्धालु श्रद्धा और विश्वास के साथ इस पवित्र स्थल पर आकर पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। यह स्थान आध्यात्मिक साधना और शक्ति प्राप्ति का प्रमुख केंद्र माना जाता है।

महत्वपूर्ण बिंदु
चतुर्दशी तिथि का महत्व:
- इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।
- विवाह के उपरांत, दोनों कुमारिका वन पहाड़ पर भ्रमण के लिए आए थे।
- माता पार्वती द्वारा पहाड़ी पर साल (चावक) के पत्ते फेंकने का प्रमाण आज भी दिखता है।
शिव पुराण का उल्लेख:
- शिव पुराण में इस घटना का वर्णन मिलता है।
- कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।
शिव और पार्वती का मासिक भ्रमण:
- हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात भगवान शिव और माता पार्वती कुमारिका वन में भ्रमण करते हैं।
पापेश्वर महादेव पीठ की विशेषता:
- यहाँ पूजा, हवन, रुद्राभिषेक, और मंत्रोच्चारण करने से दोगुना फल मिलता है।
- इस स्थान की आध्यात्मिक ऊर्जा भक्तों के लिए विशेष फलदायी होती है।
पूजा का लाभ:
- धन, ऐश्वर्य और राजयोग की प्राप्ति।
- संतान सुख और वैवाहिक जीवन में शुभता।
- शत्रुओं पर विजय और बाधाओं से मुक्ति।
- आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति।
भक्तों के लिए आस्था का केंद्र:
- इस पीठ पर श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
- यह स्थान आध्यात्मिक साधना और शक्ति प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध है।