Save Childhood: Secure The Future Of Children From Mobile Addiction

बचपन बचाओ: मोबाइल की लत से बच्चों का भविष्य सुरक्षित करें

कहीं हम आँखों से अंधे तो नहीं हो गए हैं। इस समाज में 15 वर्ष से छोटे बच्चों के लिए मोबाइल का उपयोग पूर्णतः बंद होना चाहिए। हम सभी को समाज को संभालने की दिशा में कदम उठाने होंगे, अन्यथा सबका जीवन अंधकारमय हो जाएगा।

डेढ़ से ढाई साल के बच्चे भी आज मोबाइल पर वीडियो चलाते नजर आते हैं। वे प्रतिदिन 4 से 5 घंटे मोबाइल पर व्यतीत कर रहे हैं। इसका उनके स्वास्थ्य पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इससे बच्चों को चश्मे लगने की समस्या, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, और तन, मन, मस्तिष्क, आँखों तथा उनके व्यवहार पर बुरा असर पड़ रहा है।

मोबाइल के दुष्परिणाम अब किसी से छिपे नहीं हैं। कई बच्चों और किशोरों को इसकी अत्यधिक आदत लग चुकी है। बच्चे अपने परिवार और समाज से दूर होते जा रहे हैं। परिवार में चाहे कितना भी निकटतम रिश्तेदार आ जाए, बच्चे मोबाइल में इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें नमस्कार तक नहीं करते।

इंटरनेट, सोशल मीडिया, व्हाट्सएप, फेसबुक आदि से जुड़े होने के कारण मोबाइल में ऐसी अनेक चीजें आ जाती हैं जो बच्चों और किशोरों के मन, ह्रदय, और मस्तिष्क पर विपरीत प्रभाव डालती हैं। यह नैतिकता, सदाचार और चरित्र निर्माण के सर्वदा विपरीत है।

बच्चों का वास्तविक विकास केवल तकनीक पर निर्भर नहीं होना चाहिए। उन्हें प्रकृति के साथ समय बिताने, खेलकूद, किताबें पढ़ने, और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। माता-पिता को भी अपने बच्चों के साथ अधिक समय बिताने की आवश्यकता है ताकि वे उनसे जुड़ सकें और सही मार्गदर्शन दे सकें।

अब पूरे समाज को सचेत होने का समय आ गया है। हमें मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढना होगा और बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए एक सकारात्मक और स्वस्थ वातावरण बनाना होगा।

महत्वपूर्ण बिंदु

बच्चों के लिए मोबाइल पर पूर्ण प्रतिबंध:
15 वर्ष से छोटे बच्चों के लिए मोबाइल का उपयोग पूरी तरह बंद होना चाहिए।

मोबाइल का बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव:

  • डेढ़ से ढाई साल के बच्चे भी मोबाइल का उपयोग कर रहे हैं।
  • प्रतिदिन 4-5 घंटे मोबाइल पर बिताने से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
  • चश्मे लगने की समस्या, चिड़चिड़ापन, और डिप्रेशन बढ़ रहा है।
  • तन, मन, मस्तिष्क, आँखों और व्यवहार पर नकारात्मक असर पड़ता है।

परिवार और समाज से दूरी:

  • बच्चे परिवार और समाज से दूर हो रहे हैं।
  • रिश्तेदारों के आने पर भी बच्चे मोबाइल में व्यस्त रहते हैं और सामाजिक शिष्टाचार भूल जाते हैं।

सोशल मीडिया और इंटरनेट का दुष्प्रभाव:

  • व्हाट्सएप, फेसबुक और सोशल मीडिया से बच्चों को अनुचित सामग्री का सामना करना पड़ता है।
  • यह नैतिकता, सदाचार और चरित्र निर्माण के खिलाफ है।

बच्चों के समग्र विकास के लिए कदम:

  • बच्चों को प्रकृति के साथ समय बिताने, खेलकूद और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • माता-पिता बच्चों के साथ अधिक समय बिताएं और सही मार्गदर्शन दें।

समाज की जिम्मेदारी:

  • पूरे समाज को बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए सचेत होना होगा।
  • मिलकर एक सकारात्मक और स्वस्थ वातावरण का निर्माण करें।
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