भगवा वस्त्र तथा तपस्वी

जो व्यक्ति भगवा वस्त्र पहन कर तपस्वी जीवन व्यतीत नहीं करता ,वह तपस्वी का वेश धारण कर लोगों को ठगता फिरता हैं। 

भगवा रंग अग्नि का प्रतीक हैं , तथा अग्नि तप का पर्याय हैं।  जिस प्रकार अग्नि में कुछ डालों , भस्म हो जाता हैं , उसी प्रकार तप रुपी अग्नि में वासनाएँ , स्मृतियाँ , विकार संस्कार , प्रारब्ध , पूर्वजन्म के पाप आदि सब कुछ स्वः हो जाता हैं।  जो व्यक्ति भगवा वस्त्र पहनकर तपस्वी जीवन व्यतीत नहीं करता , वह तपस्वी का वेश बनाकर लोगों का धर्म और ईश्वर के नाम से ठगता फिरता हैं।  उनके मन , चित्त की वासनाएं कभी भस्म नहीं होती हैं, उसके मन , हृदय और चित्त रुपी हवन -कुंड में तप रुपी अग्नि उदित नहीं हुई हैं।  भगवा रंग , गेरू एक विशेष रंग की मिट्टी होती हैं , जो अग्नि रूपी तप की ओर संकेत करने के अतिरिक्त इस बात और तथ्य का आभास देती हैं कि अन्ततः सब मिट्टी हो जाने वाला हैं।  

अतः ब्रह्मचारी तथा सन्यासी वस्त्रों के माध्यम से उसे जीवित ही धारण कर लेते हैं। यह इस बात और तथ्य की याद दिलाने के लिए हैं कि यदि अन्ततः मिट्टी में ही मिल जाना हैं तो फिर अभिमान किस बात का ?

कुछ मुख्य बिंदु

यहाँ भगवा वस्त्र और तपस्वी जीवन पर कुछ संक्षिप्त बिंदु दिए गए हैं:

  1. तपस्वी का वास्तविक अर्थ: जो भगवा वस्त्र पहनता है, उसे तपस्वी जीवन का पालन करना चाहिए, अन्यथा वह धर्म के नाम पर ठग है।
  2. भगवा रंग का महत्व: भगवा रंग अग्नि का प्रतीक है, जो तप और त्याग का संकेत देता है।
  3. अग्नि और तप का संबंध: जैसे अग्नि में सब कुछ भस्म हो जाता है, वैसे ही तप में वासनाएं और पाप नष्ट हो जाते हैं।
  4. आंतरिक शुद्धि की आवश्यकता: केवल बाहरी वेशभूषा से नहीं, बल्कि मन, हृदय और चित्त में तप का अग्नि होना जरूरी है।
  5. गेरू रंग का अर्थ: गेरू मिट्टी का रंग अंततः नश्वरता और सभी चीजों के मिट्टी में मिल जाने का प्रतीक है।
  6. अहम का त्याग: भगवा वस्त्र जीवन की नश्वरता की याद दिलाता है, जिससे व्यक्ति में अभिमान न रहे।
  7. ब्रह्मचारी और संन्यासी का उद्देश्य: भगवा वस्त्र धारण करना जीवन के असली उद्देश्य को समझाने का प्रतीक है, कि अंत में सब मिट्टी में मिल जाना है।
  8. तपस्वी वेश में ठगी: जो तप का पालन किए बिना भगवा पहनता है, वह केवल दिखावा कर लोगों को धोखा देता है।
  9. असली तप का अभाव: यदि मन में वास्तविक तप का अग्नि नहीं है, तो वस्त्र धारण करना व्यर्थ है।
  10. धर्म और सत्य का आचरण: सच्चा तपस्वी वही है जो भगवा वस्त्र पहनकर अपने मन को भी शुद्ध करता है, न कि केवल दिखावे का जीवन जीता है।
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