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गृहस्थ के लिए मर्यादित आचरण के सिद्धांत
धर्मज्ञ गृहस्थ मनुष्य को चाहिए कि वह अपना यश , पौरुष , दूसरों की बताई गुप्त बात तथा दूसरों के प्रति उसके जो कुछ सहायता , मदद , उपकार किया हैं , इन सबका वर्णन सर्व-साधारण के सम्मुख न करें।

कुछ मुख्य बिंदु
- यश का प्रदर्शन न करें – अपने यश और पौरुष का बखान सार्वजनिक रूप से न करें।
- गुप्त बातों का सम्मान – दूसरों की बताई गई गुप्त बातों को गोपनीय रखें।
- मदद का प्रचार न करें – किसी के प्रति की गई सहायता या उपकार का उल्लेख सार्वजनिक रूप से न करें।
- संतुलित आचरण – धर्मज्ञ गृहस्थ को मर्यादा और गोपनीयता का पालन करना चाहिए।
- सर्वसामान्य से संयमित व्यवहार – व्यक्तिगत और परोपकारी कार्यों का बखान करके दिखावा न करें।