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जब परिवार के सदस्य और रिश्तेदार दुश्मन लगने लगें, और पराए अपने लगने लगें, तो यह समझ लें कि अब विनाश का समय नजदीक है।”
जब जीवन में आपके अपने ही लोग अजनबी और विरोधी जैसे महसूस होने लगें, तो यह एक चेतावनी है कि आपकी जीवन यात्रा में कोई गहरी उथल-पुथल आ रही है। परिवार और रिश्ते हमारी सबसे मजबूत सहारा होते हैं, और जब वही हमसे दूर हो जाते हैं, तो यह संकेत होता है कि हमें अपने भीतर कुछ बदलाव लाने की जरूरत है।
यह समय आत्मनिरीक्षण और जीवन की दिशा को समझने का है। रिश्तों में खटास और दूरियाँ तब आती हैं जब हम अपने कर्मों, शब्दों और आचरण पर ध्यान नहीं देते।

महत्वपूर्ण बिंदु
- रिश्तों का टूटना एक बड़ा संकेत है।
जब रिश्ते दरकने लगते हैं, तो यह बताता है कि हमें अपने दृष्टिकोण और व्यवहार में बदलाव की आवश्यकता है। - विनाश का समय वही होता है जब हम अपने परिवार को ही नहीं समझ पाते।
सच्चे संबंध और परिवार वही होते हैं जो हमें हर परिस्थिति में सहारा देते हैं। - अगर पराए अपने लगने लगें, तो अपने भीतर के विकारों का निरीक्षण करें।
यह समय खुद को जानने और अपने अंदर के द्वार खोलने का है। - सही रास्ते पर चलने से हर रिश्ता मजबूत और आत्मिक संतुलन बना रहता है।
हमारा रास्ता वही है जो हमें सच्चे रिश्ते और समृद्धि की ओर ले जाए। - अगर यह स्थिति बनी रहती है, तो विनाश की ओर अग्रसर होने के संकेत स्पष्ट हैं।
समय रहते आत्मसात करिए, और अपने कर्मों और विचारों में सुधार लाकर अपने रिश्तों को बचाइए।