Action Is The Creator Of Destiny

“एक दिन अचानक, प्रारब्ध के अनुसार वह सब कुछ प्राप्त होगा, जिसके तुम अपने कर्मों के सिद्धांत अनुसार हकदार हो। यह सुनिश्चित है।”

➡ कर्म ही जीवन का आधार है।
➡ जो जैसा कर्म करेगा, वैसा ही फल मिलेगा।
➡ भाग्य कर्मों से ही बनता और संवरता है।
➡ सत्कर्मों का प्रभाव देर से सही, लेकिन अवश्य मिलता है।
➡ विश्वास रखो, मेहनत करो और धैर्य बनाए रखो – प्रारब्ध स्वयं अपना मार्ग खोज लेगा।

सत्कर्म करो, भाग्य स्वयं तुम्हारे द्वार पर दस्तक देगा| 

महत्वपूर्ण बिंदु

 कर्म ही भाग्य का निर्माता है 🌿

हमारा भाग्य हमारे कर्मों पर आधारित होता है। जीवन में जो कुछ भी हमें प्राप्त होता है, वह हमारे कर्मों का ही परिणाम होता है। प्रारब्ध हमें वही देगा, जिसके हम अपने कर्मों के आधार पर हकदार हैं। इसलिए, भाग्य के भरोसे बैठने के बजाय सत्कर्मों की राह अपनाना ही सच्ची सफलता की कुंजी है। आइए, इस विचार को गहराई से समझते हैं।

  •  कर्म ही भाग्य का निर्माण करता है, भाग्य केवल संयोग नहीं होता:
    लोग अक्सर भाग्य को संयोग मान लेते हैं, लेकिन असल में भाग्य हमारे कर्मों का ही प्रतिबिंब होता है।
  •  जो जैसा कर्म करेगा, वैसा ही फल उसे अवश्य मिलेगा:
    अच्छे कर्मों का फल अच्छा ही होता है, और बुरे कर्मों का परिणाम बुरा। यह नियम अटल है।
  •  प्रारब्ध वही देगा, जिसके तुम अपने कर्मों से हकदार हो:
    जो हमें जीवन में प्राप्त होता है, वह हमारे पिछले और वर्तमान कर्मों का परिणाम होता है।
  •  सत्कर्मों का प्रभाव देर से सही, लेकिन कभी व्यर्थ नहीं जाता:
    अगर आपके अच्छे कर्मों का फल तुरंत नहीं मिलता, तो भी घबराएं नहीं। समय आने पर उसका शुभ परिणाम अवश्य मिलेगा।
  •  भाग्य बदलने का एकमात्र उपाय है – अच्छे कर्म करना:
    किसी भी व्यक्ति का भाग्य उसके कर्मों से ही तय होता है। इसलिए, यदि आप अपना भविष्य बेहतर बनाना चाहते हैं, तो अपने कर्म सुधारें।
  •  धैर्य और परिश्रम से किया गया कार्य निश्चित रूप से सफलता दिलाता है:
    सिर्फ भाग्य के भरोसे बैठने से कुछ नहीं होगा। मेहनत और धैर्य से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है।
  • कर्मों से ही व्यक्ति की पहचान बनती है, न कि केवल भाग्य से:
    किसी इंसान की पहचान उसके कर्मों से होती है। उसका भाग्य केवल उसका समर्थन करता है, लेकिन कर्म ही उसका वास्तविक परिचय देते हैं।
  • सच्चा भाग्य वही है जो सत्कर्मों और सत्य मार्ग पर चलकर प्राप्त किया जाए:
    अगर भाग्य अच्छा भी हो, लेकिन कर्म गलत हों, तो उसका कोई लाभ नहीं। सच्ची सफलता सत्कर्मों से ही संभव है।
  • अचानक कुछ भी नहीं मिलता, सब कुछ पूर्व कर्मों का ही परिणाम होता है:
    कोई भी चीज अचानक नहीं मिलती, चाहे वह सफलता हो या कठिनाई। हर चीज हमारे कर्मों का ही नतीजा होती है।
  • सत्कर्म करो, समय आने पर भाग्य स्वयं तुम्हारे द्वार पर दस्तक देगा:
    अच्छे कर्म करने वाले को भाग्य की चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ती। सही समय पर, भाग्य स्वयं उसका साथ देगा।
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