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धर्म कोई भी हो, सत्वगुण को धारण कर चैतन्य और जागरूक इंसान बनो।अद्वैत का पालन करो, क्योंकि यही सत्य का मार्ग है।जीवन में कर्म ही प्रमुख है – हिसाब प्रारब्ध अनुसार केवल कर्म का होगा, धर्म का कदापि नहीं।
सत्कर्मों से ही सच्ची शांति और आत्मिक उन्नति प्राप्त होती है। सत्य, प्रेम और करुणा को अपनाओ, क्योंकि यही जीवन का असली सार है।यह केवल विचार नहीं, बल्कि अनुभूत सत्य है।
