जिस प्रकार भक्त साधक होता हैं , वैसे ही अपने-अपने ईश्वर की कल्पना कर लेता हैं।
जिस प्रकार भक्त साधक होता हैं , वैसे ही अपने-अपने ईश्वर की कल्पना कर लेता हैं। उदाहरण के लिए यदि आप उत्तर प्रदेश में जाएँ तो भगवान कृष्ण तथा राधा जी , राम तथा सीता जी , आप को उत्तर भारतीय वेशभूषा में सुसज्जित दिखाई देंगे किन्तु आप महाराष्ट्र के मंदिरों में जाए तो उनके पहनावे पर महाराष्ट्र की छाप होगी। एक स्थान पर मैं ठहरा था , घर का स्वामी पूजा पाठी था। उसे हुक्का पीने की तलब लगी। उसने एक छोटा सा हुक्का तैयार किया , तम्बाकू रखा , आग रखी , फिर भगवान के सामने रख आया। फिर अपना हुक्का लेकर पीने लगा। मैंने पुछा तो उसने कहा ,”हम हुक्का पिएंगे तो पूछा तो हमारे भगवान कैसे नहीं पिएंगे ?” एक पत्रकार अफगानिस्तान गया , उसे पता चला कि यहाँ राम मंदिर हैं। वह देखने गया। पुजारी थाली में नैवेध्य लेकर आया तो देखकर दांग रह गया। उसमें मांसाहार था। नैवेध्य लग गया तो उसने पुजारी से पूछा कि भगवान को मांसाहार ? पुजारी ने उत्तर दिया , “वाह , रामचन्द्र जी तो क्षत्रिय थे , शिकार खेलते थे तो मांसाहार भी अवश्य ही करते होंगे। इसमें आश्चर्य की क्या बात हैं ?” अब देखिए ! इसमें मुख्य कारन यह हैं कि अफगानिस्तान में सभी माँसाहारी हैं , इस लिए उनके भगवान भी माँसाहारी हैं।
कुछ मुख्य बिंदु
यहाँ कुछ संक्षिप्त बिंदु दिए गए हैं:
ईश्वर की कल्पना व्यक्तित्व के अनुसार – भक्त अपने धर्म और संस्कार के अनुसार ईश्वर की कल्पना करता है, जैसे उत्तर प्रदेश में भगवान कृष्ण और राम को उत्तर भारतीय वेशभूषा में देखा जाता है।
स्थान विशेष में भिन्नता – महाराष्ट्र में भगवान के रूप और पहनावे में महाराष्ट्र की संस्कृति की छाप होती है।
हुक्का और भगवान – एक पूजा पाठी ने हुक्का पीते हुए भगवान के सामने रखा और कहा कि जैसे वह हुक्का पीते हैं, वैसे ही भगवान भी पी सकते हैं।
अफगानिस्तान में राम मंदिर का दृश्य – अफगानिस्तान में राम मंदिर में नैवेध्य में मांसाहार देखने पर पत्रकार ने हैरानी जताई, लेकिन पुजारी ने इसे सामान्य बताया।
क्षत्रिय धर्म और मांसाहार – पुजारी ने बताया कि रामचन्द्र जी क्षत्रिय थे और शिकार करते थे, इसलिए मांसाहार करना स्वाभाविक था।
संस्कृति और धार्मिक व्याख्याएँ – स्थान और संस्कृति के हिसाब से धार्मिक रीति-रिवाज और व्याख्याएँ बदल जाती हैं, जैसे अफगानिस्तान में मांसाहार का सेवन सामान्य है।
स्थानीय परंपराओं का प्रभाव – धार्मिक परंपराएँ और मान्यताएँ स्थानीय संस्कृति और परंपराओं से प्रभावित होती हैं।