सद् गुरु
मेरे सद् गुरु श्री स्वामी शिवोम तीर्थ जी महाराज , इनके सद् गुरु श्री स्वामी विष्णु तीर्थ जी महाराज, इनके सद् गुरु स्वामी नारायण तीर्थ देव महाराज जी का आश्रम क्या था ? फूस के दो टपरे तथा वह वृक्ष के नीचे बनी माँ काली। प्राचीन ऋषियों की भांति भिक्षा पर रहकर आश्रम चलाया तथा अत्यंत गरीबी में ही दिव्य समय बीता दिया। कई राजा- जागीरदार दीक्षा के लिए आए परन्तु इंकार कर दिया। किसी धनिक पर विश्वास करने के पूर्व उसका मन मस्तिष्क और चित्त पढ़ते थे और फिर सो बार सोचते थे। न कोई साधना कक्ष , न सत्संग हॉल , न लोगों के ठहरने के कमरे। आश्रमवासियों का सीधा-सादा जीवन और उच्च आध्यात्मिक विचार। न बिजली के पंखे न पानी के नल। तालाब पर नहाओं , पेड़ों के नीचे बैठकर भोजन करों तथा पूजा- पाठ , जप -तप और साधना करों। न कोई अनावश्यक बातचीत , न समय की बर्बादी। कड़क अनुशासन किन्तु प्रेममय वातावरण। राग-द्वेष , निंदा , क्रोध , अभिमान के लिए कोई स्थान नहीं। दिव्य आश्रम का कोना-कोना जैसे दिव्य -शक्ति की अनुभूतियों से लबालब भरा हो। जहाँ बैठो , वही साधना-कक्ष , जहाँ आओ वही भगवान का मंदिर। ऐसा प्रतीत होता था मानो भक्ति तथा शक्ति आश्रम में सर्वत्र नाच रही हैं। यह एक ऐसा उदाहरण हैं जो सभी गुरुओं तथा भक्तों के लिए विचारणीय और अनुकरणीय हैं।
कुछ मुख्य बिंदु
यहाँ कुछ संक्षिप्त बिंदु दिए गए हैं:
सरल आश्रम – स्वामी नारायण तीर्थ देव महाराज जी का आश्रम फूस के दो टापरों और वृक्ष के नीचे स्थित माँ काली पर आधारित था।
भिक्षा पर आश्रम संचालन – प्राचीन ऋषियों की भांति, महाराज जी ने भिक्षा पर आश्रम का जीवन बिताया।
धन का त्याग – राजा-रजवाड़ों और धनिकों से दीक्षा के प्रस्तावों को साधना में व्यवधान के कारण ठुकरा दिया।
सीधा-सादा जीवन – न साधना कक्ष, न सत्संग हॉल, और न ही ठहरने के लिए कमरे; साधकों का जीवन सरलता से परिपूर्ण था।
प्राकृतिक साधन – बिजली, पंखे, और नल की अनुपस्थिति में तालाब पर स्नान, पेड़ों के नीचे भोजन और साधना होती थी।
कड़क अनुशासन – प्रेममय वातावरण में बिना अनावश्यक बातचीत के अनुशासित जीवन और साधना पर बल।
निष्कपट साधना स्थल – राग, द्वेष, निंदा, क्रोध और अभिमान रहित वातावरण से भरपूर आश्रम।
दिव्य अनुभवों से परिपूर्ण – आश्रम का हर कोना दिव्य शक्ति और भक्ति से पूर्ण प्रतीत होता था, जहाँ बैठो वही साधना कक्ष, जहाँ आओ वही भगवान का मंदिर।
साधकों के लिए आदर्श – आश्रम का सादगीपूर्ण और दिव्यता से भरा वातावरण सभी साधकों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है।