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ईश्वर के आदेश में जीवन और मृत्यु
मनुष्य ईश्वर के आदेशानुसार ही संसार में अपना जीवन भोगने आता हैं और चला जाता हैं। यदि मनुष्य के वश या नियंत्रण में हो तो संसार में एक बार आकर यही रह जाए , किन्तु परमात्मा का बुलावा आता हैं तो क्षण भर की मोहलत नहीं मिलती। मृत्यु आती हैं और झपट कर ले जाती हैं।
महत्वपूर्ण बिंदु
- ईश्वर का आदेश – मनुष्य ईश्वर के आदेशानुसार ही जन्म और मृत्यु के चक्र में आता है।
- नियंत्रण से परे – यदि मनुष्य के वश में होता तो वह जीवनभर यहीं रह सकता था, परंतु मृत्यु एक निश्चित समय पर आती है।
- मृत्यु का अनिवार्यता – मृत्यु किसी को भी क्षण भर की मोहलत नहीं देती, और वह ईश्वर के बुलावे पर आकर ले जाती है।
- जीवन की अनिश्चितता – मनुष्य का जीवन अस्थिर और अनिश्चित है, जो ईश्वर के नियमानुसार चलता है।
- मृत्यु का अपहरण – मृत्यु एक अप्रत्याशित घटना है जो बिना किसी पूर्व सूचना के आती है और जीवन को समाप्त कर देती है।