Past Life Memories and Nature’s Law

मनुष्य को पूर्व जन्म की घटनाएं एवं बातें क्यों याद नहीं रहती?

मनुष्य अपनी चालाकी से कभी भी बाज नहीं आया है। विषयासक्ति के कारण इस संसार में अनेक साधन हैं, जिनकी भौतिकता की छाप गहराई से पड़ गई है। वह संसार के मोह और लालच के वश में आकर इन्हें कदापि भूलना नहीं चाहता।

यह तो प्रकृति का अत्यंत उत्तम विधान है कि उसने बारह घंटे की रात बनाई और उसमें लोगों को सोने के लिए विवश कर दिया। अन्यथा, मनुष्य तो सोने से भी छुट्टी ले लेता और एक क्षण के लिए भी अपने भौतिक संसार को अपनी आँखों से ओझल नहीं होने देता।

इस जन्म में मनुष्य अपने कुल-कुटुंब, धन-दौलत आदि को अपने पास ही रखना चाहता है। यदि उसके वश में होता, तो मृत्यु के बाद भी वह इन्हें अपने साथ बनाए रखता। पहले तो नींद ने और फिर मृत्यु ने इस चालाक मनुष्य जाति को यह सत्य स्वीकार करने के लिए मजबूर कर दिया कि उसे इस संसार से अलग भी रहना है और अपने अकेलेपन की शांति का भी अनुभव करना है।

यह अच्छा ही हुआ कि प्रकृति ने मृत्यु की दिव्य व्यवस्था कर दी और इसके साथ-साथ लोगों की स्मरण शक्ति भी समाप्त कर दी। अन्यथा, लोग विस्मरण के इस नियम का भी उल्लंघन कर चुके होते। वे बातें भूल जाते हैं, लेकिन पैसों का लेन-देन नहीं भूलते। भूल न जाएं, इस भय से उन्होंने लिखित रिकॉर्ड रखने की परंपरा शुरू कर दी।

मनुष्य ने प्रकृति की व्यवस्था और मुक्ति की स्वाभाविकता को नष्ट करने के लिए सभी संभव प्रयास किए हैं, किंतु यह व्यवस्था कभी खंडित नहीं हुई। सारी जानकारी मनुष्य के मस्तिष्क, मन और चित्त में चिप के रूप में संग्रहित रहती है। अंतिम हिसाब मन और चित्त में ही रहता है, और मृत्यु के समय मन और चित्त को इतने सूक्ष्म रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है कि बीज मात्र शेष रह जाता है और संपूर्ण वृक्ष समाप्त हो जाता है।

इतना होने के बावजूद, लोगों में अपने पिछले जन्म की बातों को जानने की तीव्र इच्छा बनी रहती है। यही कारण है कि इस विषय पर प्रायः प्रश्न उठते रहते हैं। लोग यह नहीं सोचते कि वे इस जन्म की ही कई बातें भूल जाते हैं, फिर पिछले जन्म की बातें भूल जाने की शिकायत क्यों करते हैं?

महत्वपूर्ण बिंदु

  • जिज्ञासा बनी रहती है – लोग अपने पूर्व जन्म की बातें जानने की तीव्र इच्छा रखते हैं, जबकि वे अपने वर्तमान जीवन की ही कई घटनाएँ भूल जाते हैं।
  • मनुष्य की विषयासक्ति – मनुष्य भौतिक सुख-संपत्ति और संसार के मोह में इतना लिप्त रहता है कि वह इन्हें भूलना नहीं चाहता।
  • प्रकृति का अद्भुत विधान – प्रकृति ने मनुष्य को सोने के लिए रात बनाई, जिससे वह संसार के मोह से कुछ समय के लिए मुक्त हो सके।
  • मृत्यु और विस्मरण – प्रकृति ने मृत्यु के साथ-साथ स्मरण शक्ति को समाप्त करने की दिव्य व्यवस्था की, जिससे मनुष्य अपने पूर्व जन्म की बातें न याद रख सके।
  • मनुष्य की लालसा – मनुष्य अपने कुल-कुटुंब, धन-दौलत आदि को मृत्यु के बाद भी अपने साथ रखना चाहता है, लेकिन प्रकृति ने उसे ऐसा करने से रोका है।
  • भूलने की स्वाभाविकता – लोग इस जन्म की ही कई बातें भूल जाते हैं, फिर भी वे पिछले जन्म की स्मृतियाँ याद रखने की इच्छा रखते हैं।
  • पैसों और सांसारिक चीजों का मोह – मनुष्य अन्य बातें भूल सकता है, लेकिन धन-संपत्ति का लेन-देन भूलने से डरता है, इसलिए उसने लिखित रिकॉर्ड रखने की आदत विकसित कर ली।
  • मृत्यु का रहस्य – मृत्यु के समय मन और चित्त को सूक्ष्म रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है, जिससे केवल कर्मों का बीज शेष रह जाता है और पिछला जीवन भुला दिया जाता है।
  • प्राकृतिक नियम अटल है – मनुष्य ने इस नियम को तोड़ने के कई प्रयास किए, लेकिन प्रकृति की व्यवस्था को कभी खंडित नहीं किया जा सका।

निष्कर्ष:

  • कंप्यूटर कभी भी मानव मस्तिष्क की दिव्य क्षमताओं की बराबरी नहीं कर सकता।
  • मानव मस्तिष्क एक चमत्कारी चेतन यंत्र है, जो ऊर्जा और चेतना के संयुक्त प्रभाव से कार्य करता है।
Shopping Cart
Scroll to Top
Enable Notifications OK No thanks