The Glory of the Divine and the Eternal Truth

परमात्मा की महिमा और अटल सत्य

परमात्मा की रचना किसी को भी परखने , विचार अथवा वर्णन करने की कोई सामर्थ्य नहीं हैं।  जो परमात्मा करता है , वही सर्वश्रेष्ठ होता हैं।   हे मेरे निरंकार परमात्मा ! तू सदैव ही शाश्वत सत्य और रोम रोम कण कण में विद्यमान हैं।  

महत्वपूर्ण बिंदु

  1. परमात्मा की असीम रचना – परमात्मा की रचना को समझने, परखने या वर्णन करने की मानव में कोई सामर्थ्य नहीं है।
  2. परमात्मा का कार्य सर्वोत्तम – जो परमात्मा करता है, वही सर्वोत्तम होता है, उसे परे कोई विचार नहीं कर सकता।
  3. सदाशिवता का तत्व – परमात्मा शाश्वत सत्य है और वह हर कण, हर रोम में विद्यमान है।
  4. निरंकार परमात्मा – परमात्मा निराकार रूप में सर्वत्र व्याप्त और सर्वशक्तिमान है।
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